Sunday, January 31, 2016

यारों

पीनेकी आदत थी मुझे,
"उसने" अपनी कसम देकर छुडा दी...

शाम को यारों की महफिल में बैठा तो,
यारों ने "उसकी" कसम देकर पीला दी...

 भुला न सको....

"किसी को इतना भी न चाहो कि भुला न सको
क्योंकि
ज़िंदगी, इन्सान और मोहब्बत तीनों बेवफा हैं....!!

दोस्ती तेरी !!

कितनी छोटी सी दुनिया है मेरी

एक मै हूँ
और
एक दोस्ती तेरी !!

 दोस्त........

दो क़दम तुमसे चला जाता नहीं है दोस्त,
हम यहाँ वक़्त की रफ़्तार संभाले हुए हैं...!!!

(Thanks :: Karim Movar)

अगर इशारा मिले.....??

आंखों ने आज
फिर तेरे दीदार की
तमन्ना रखी है
अगर इशारा मिले
तो ख्वाबों से बाहर आ जाना…..!!

मोहब्बत के रिवाज़.......!!

कितने अज़ीब होते हैं ये मोहब्बत के रिवाज़,

लोग आप से तुम,
तुम से जान, और
जान से अनजान बन जाते है..

हवा

हवा से कह दो कि खुद को आजमा के दिखाये,

बहुत चिराग बुझाती है,
एक जला के दिखाये..

इंतजार में ही खुश हूँ........

बीता हुआ कल जा रहा है उसकी याद में ही खुश हुँ,
आने वाले कल का पता नही इंतजार में ही खुश हूँ..

तुझे भुलाने के......

तुझे भुलाने के हज़ार तरीक़े सोचता रहा रात भर,
और इस तरह तेरी याद में एक रात और गुज़र गयी..

बरबाद कर गया

बरबाद कर गया वो ज़िन्दगी प्यार के नाम से,
बेवफाई मिली सिर्फ वफा के नाम से,
ज़ख्म ही ज़ख्म दिया उसने दवा के नाम से,
खुद भी रों पड़ा वो मेरी मोहब्बत के अंजाम से...

याद अब ख़ुद को आ रहे हैं हम...

याद अब ख़ुद को आ रहे हैं हम
कुछ दिनों तक ख़ुदा रहे हैं हम
आरज़ूओं के सुर्ख़ फूलों से
दिल की बस्ती सजा रहे हैं हम
आज तो अपनी ख़ामुशी में भी
तेरी आवाज़ पा रहे हैं हम
बात क्या है कि फिर ज़माने को
याद रह-रह के आ रहे हैं हम
जो कभी लौट कर नहीं आते
वो ज़माने बुला रहे हैं हम
ज़िंदगी अब तो सादगी से मिल
बाद सदियों के आ रहे हैं हम
अब हमें देख भी न पाओगे
इतने नज़दीक आ रहे हैं हम
ग़ज़लें अब तक शराब पीती थीं
नीम का रस पिला रहे हैं हम
धूप निकली है मुद्दतों के बाद
गीले जज़्बे सुखा रहे हैं हम
फ़िक्र की बेलिबास शाख़ों पर
फ़न की पत्ती लगा रहे हैं हम
सर्दियों में लिहाफ़ से चिमटे
चाँद तारों पे जा रहे हैं हम
ज़ीस्त की एक बर्फ़ी लड़की को
’नूरओ नामा’ पढ़ा रहे हैं हम
उस ने पूछा हमारे घर का पता
काफ़ी हाउस बुला रहे हैं हम
कंधे उचका के बात करने में
मुनफ़रद होते जा रहे हैं हम
चुस्त कपड़ों में ज़िस्म जाग पड़े
रूहो-दिल को सुला रहे हैं हम
कोई शोला है कोई जलती आग
जल रहे हैं जला रहे हैं हम
टेढ़ी तहज़ीब, टेढ़ी फ़िक्रो नज़र
टेढ़ी ग़ज़लें सुना रहे हैं हम
‪#‎बशीर_बद्र

 हम कांटे संभाले हुए हैं...!!!

जिनको फूलों से है निस्बत वो रखें ध्यान उनका,

कांटे हमको मिले

मंज़िलें

शख़्स हर जानता ज़िन्दगी है सफ़र,

मंज़िलें हर कोई ढूंढता रहा गया...!!!

ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था...

राहत इन्दौरी  

ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था
मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था

तेरे सलूक तेरी आगही की उम्र दराज़
मेरे अज़ीज़ मेरा ज़ख़्म भरने वाला था

बुलंदियों का नशा टूट कर बिखरने लगा
मेरा जहाज़ ज़मीन पर उतरने वाला था

मेरा नसीब मेरे हाथ काट गए वर्ना
मैं तेरी माँग में सिंदूर भरने वाला था

मेरे चिराग मेरी शब मेरी मुंडेरें हैं
मैं कब शरीर हवाओं से डरने वाला था

Saturday, January 30, 2016

मोहब्बत

कलम में जितना दम है सब जुदाई की बदौलत हैं,,

वर्ना अक्सर मोहब्बत मिलने के बाद लोग लिखना छोड़ देते है..!!!

मोहब्बत भी चाहते हो और मुक्म्म्ल वफ़ा भी,
"जनाब"

आप तो धुंए के बादलों से बरसात माँग रहे हो !!

गुज़रते  लमहो के दर्द में जीना कोई ज़िन्दगी  नहीं l
हर एक  पल  में ता -उम्र जी  लेना ही ज़िन्दगी है ll

मैं राज़ तुमसे कहूँ, हमराज़ बन जा ज़रा...
करनी है कुछ गुफ्तगू, अल्फ़ाज़ बन जा ज़रा..

बडी खामोशी से भेजा था गुलाब उसको…
पर खुशबू ने शहर भर में तमाशा कर दिया.....

कोन कहता है तुझे चाहने के लिये
तेरा होना जरूरी हे
तू नहीं तेरी याद सही
तेरे संग जिन्दगी पूरी है ...

हमारे पास तो सिर्फ तेरी यादे है,,

जिंदगी तो उसे मुबारक हो,
जिसके पास तू है..!!


कभी देखी है सुरत.. आइने में  अपनी

तुम खुद के कम.. मेरे ज्यादा लगते हो...!

लोग शोर से जाग जाते हैं साहब ,
मुझे एक इंसान की ख़ामोशी सोने नही देती !!