ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
मैं राज़ तुमसे कहूँ, हमराज़ बन जा ज़रा... करनी है कुछ गुफ्तगू, अल्फ़ाज़ बन जा ज़रा..
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