ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
मोहब्बत भी चाहते हो और मुक्म्म्ल वफ़ा भी, "जनाब"
आप तो धुंए के बादलों से बरसात माँग रहे हो !!
No comments:
Post a Comment