ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
ग़ैरों का मुझको घ़ूरना भाता नहीं कभी, मैं चाहती हूँ आप ही देखा करें मुझे...
- मेगी आसनानी
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