ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
मैं अपने आप से आगे निकलने वाला था सो ख़ुद को अपनी नज़र से गिरा के बैठ गया
- फ़ाज़िल जमीली साहब
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