Tuesday, November 22, 2016

डॉ बशीर बद्र

गर्म कपड़ों का सन्दूक़ मत खोलना वरना यादों की काफ़ूर जैसी महक
ख़ून में आग बनकर उतर जायेगी सुबह तक ये मकाँ ख़ाक हो जायेगा
-डॉ बशीर बद्र

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