ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
गर्म कपड़ों का सन्दूक़ मत खोलना वरना यादों की काफ़ूर जैसी महक ख़ून में आग बनकर उतर जायेगी सुबह तक ये मकाँ ख़ाक हो जायेगा -डॉ बशीर बद्र
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