आसान नहीं सफ़र मेरा दुश्वार है !
खिज़ाओं से घिरा मेरा गुलज़ार है !!
भूलना चाहू तेरी याद में गमे-दुनिया!
लेकिन खुदके खों जाने के आसार है !!
लब खोल ताकि ज्जबात से वाकिफ़ हो लु !
वरना तो ये बेवजह रोज का दीदार है !!
हँस के गैरों से बात करते हो सामने मेरे !
बेरुखी में तू चलाता दिल पै तलवार है !!
तेरे बर्ताव ने मेरे सब्र को रुखसत कर दिया !
अलविदा!"शील" आखरी सफ़र को तैयार है !!............
.
.हेमशिला माहेश्वरी .."शील"......
No comments:
Post a Comment