ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
क़रीब जाने से चलता है पता शख़्सियत का ज़मीं से चाँद ज़रा-सा दिखाई देता है
दिल है उसी के पास, हैं साँसें उसी के पास देखा उसे तो रह गईं आँखें उसी के पास
-गोविंद गुलशन
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