1.
हाथ जख्मी हुए कुछ अपनी भी गलती थी..
लकीरों को मिटाने चले थे उन्हें पाने के लिए..
2.
सुने जाते न थे तुम से मिरे दिन रात के शिकवे
कफ़न सरकाओ मेरी बे-ज़बानी देखते जाओ
- फ़ानी बदायुनी
3.
एक ही चोखट पर सिर झुकें तो सुकून मिलता है..
भटक जाते है वो लोग जिनके हज़ारों खुदा होते है..
नामालूम
4.
अजीब दर्द का रिश्ता है सारी दुनिया में
कहीं हो जलता मकाँ अपना घर लगे है मुझे
- मलिकज़ादा मंज़ूर
5.
अपनी रूह के छालों का कुछ हिसाब करूँ
मैं चाहता था चरागों को आफताब करूँ
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