ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
निगाहे-कहर के मारे जब इतने खुश है तो फिर, निगाहे-लुत्फ के मारों का हाल क्या होगा...,,,,,?
गुज़र जायेंगे हम यूँ ही किसी लम्हें की तरह,,,,,,
और तुम यूँ ही वक्त से उलझे रहना.......!!!!!!!
आया ही था खयाल कि आंखें छलक पड़ीं, आंसू किसी की याद के कितने करीब हैं....।
ज़िन्दगी जब भी मुस्कराएगी हर झरोखे से महक आएगी
ज़रा खोलो तो पंख हिम्मत के ये ज़मीं छोटी नज़र आएगी
जब मिलो किसी से तो जरा दूर का रिश्ता रखना, बहुत तङपाते हैँ अक्सर सीने से लगाने वाले .
सुना है की नफरत की दुकान खोल रहे हो...!! थोड़ी मोहब्बत भी रख लेना दिखावे के लिए...!!
मैंने ही मयखानों को मयखाना बनाया...!! और मेरे ही मुक़द्दर में कोई जाम नहीं है...!!
चल रहें हैं ज़माने भर में रिश्वतों के सिलसिले...!! कुछ तुम भी ले दे कर हमसे मोहब्बत कर लो...!!
वो मेरे दिल पर सिर रखकर सोई थी बेखबर; हमने धड़कन ही रोक ली.......... कि कहीं उसकी नींद ना टूट जाए।