ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
दिल का हुजरा कितनी बार उजाड़ा भी और बसाया भी,
सारी उम्र कहाँ ठहरा है कोई एक रिहाइश पर..!!
~गुलजार
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