Sunday, November 20, 2016

मधुप मोहता

न हुआ सूर, न तुलसी, न मैं कबीर हुआ
इश्क उसका नहीं तेरा था, सो फ़कीर हुआ

न तू आया, न तेरा ख्वाब, न तेरा ज़िक्र
न मैं रोया, न मैं सोया, न मैं मीर हुआ...
  
- मधुप मोहता

No comments:

Post a Comment