ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
سزا یہ دی ہے کہ آنکھوں سے چھین لیں نیندیں قصور یہ تھا کہ جینے کے خواب دیکھے تھے
सज़ा ये दी है कि आँखों से छीन लीं नींदें क़ुसूर ये था कि जीने के ख़्वाब देखे थे
Amir Usmani
No comments:
Post a Comment