ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
कभी पा के तुझको खोना कभी खो के तुझको पाना ये जनम जनम का रिश्ता तेरे मेरे दरमियाँ हैं
- बशीर बद्र
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