ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
कठिन है अँधेरे को आत्मा से अलग करना
क्योंकि दोनों कि आँख आख़िर उजाले पर है! -भवानीप्रसाद मिश्र
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