ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
कल हमारे चाँद सूरज और तारे बदल जायेंगे लगेंगे अमित प्यारे टूट जायेगा हमारा कड़ा घेरा और होगा मुक्त कल पहला सबेरा यह सबेरा सार्थक जिस बात से हो काम वह अपना शुरू इस रात से हो -भवानीप्रसाद मिश्र
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