ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
छुड़ा लिए हैं रंग सब, धोकर अपने अंग !.. दिल पर जो तू मल गया, वो ना उतरा रंग ! .. -विजेंद्र शर्मा
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