ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
नयनथी जागेली प्ण होंठो पर आवीने अटकी गयेली असंख्य उर्मिओना थनगनाटनी साथे वलोवातु भोलु ह्रदय.....
-विपुल देसाइ
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