ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
तुमने आँखों से मेरी आँखों पर दस्तखत क्या किये....
हमने हमारी सांसों की वसीयत तुम्हारे नाम करदी
No comments:
Post a Comment