ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
जिन्दगीं में किसी का साथ काफी हैं, कंधे पर किसी का हाथ काफी हैं, दूर हो या पास...क्या फर्क पड़ता हैं, रिश्तों का तो बस "एहसास" ही काफी हैं.
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