ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
अगर होता है इत्तेफ़ाक तो यूँ क्यों नहीं होता, तुम रास्ता भूलो... और मुझ तक चले आओ...
No comments:
Post a Comment