ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
फ़ासले तो बढ़ा रहे हो मगर इतना याद रखना, मुहब्बत बार बार इंसान पर मेहरबान नहीं होती.
No comments:
Post a Comment