Monday, February 8, 2016

अलविदा निदा साहेब----सलाम

अलविदा निदा साहेब----सलाम
अपनी मज़ॅी से  कहाँ अपने सफर के  हम हैं
रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं।
-------------निदा फ़ाज़ली

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो युं कर ले ;
किसी रोते हुए बच्चों को हसाया जाए ।

गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम
हर क़लमकार की बेनाम ख़बर के हम है ।

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