ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
तुमने फ़ैसले ही फ़ासले बढ़ाने वाले लिये थे.
वरना
कुछ ना था तुमसे ज़्यादा क़रीब मेरे.....
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