ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
ना थी मेरी तमन्ना कभी तेरे बगैर रहने की लेकिन,
मज़बूर को, मज़बूर की, मज़बूरियां, मज़बूर कर देती है....!!
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