Thursday, February 4, 2016

तेरा मेरा शीशेका घर , मै भी सोचुं तुं भी सोच , कयुं दोनोके हाथमे पत्थर,  मै भी सोचुं तुं  भी सोच ।
-निदा फाजली

No comments:

Post a Comment