ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
आंसूओ के प्रतिबिंब गिरे ऐसे दर्पण कहा है...
बिना कहे सबकुछ समझे वैसे रिश्ते कहा है.
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