ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
न चाहत के अंदाज अलग ,
न दिल के थे जज्बात अलग ....
ये तो है बात लकीरों की ...
तेरे हाथ अलग , मेरे हाथ अलग !!!!
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