ये मस्तो की प्रेम सभा है, यहा संभलकर आना जी......
जो खून ए दिल में डुबो ली हैं उँगलियाँ मैं ने, लिखी है तब कहीं ज़ुल्मों की दास्ताँ मैं ने...!!!
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